भाजमो अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा – ‘वर्तमान कुल सचिव कर्नल राजेश कुमार के विरुद्ध पीएमओ में दर्ज है शिकायत!’
Ranchi News : भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय (Raksha Shakti University) की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की विशिष्ट पढ़ाई के लिए स्थापित देश की तीसरे रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। प्रथम कुलपति तथा प्रथम कुल सचिव के हटने के बाद से इसकी स्थिति दयनीय हो गई है।
गहन पठन-पाठन के लिए विश्वविद्यालय में आज नाममात्र की पढ़ाई होती है, विद्यार्थी कैंपस की जगह शहर में घूमते नजर आते हैं। परीक्षा औपचारिक मात्र रह गई है इस दुर्दशा का कारण प्रशासनिक व्यवस्था है। अभी वर्तमान कुल सचिव कर्नल राजेश कुमार जांच के घेरे में है।
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वर्तमान कुल सचिव के विरुद्ध पीएमओ में दर्ज है शिकायत
धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि पता चला है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है। पहली शिकायत उनके कुल सचिव पद की अर्हता को लेकर है। जबकि दूसरी शिकायत वित्तीय गड़बड़ियों तथा उनके बाद जुबानी को लेकर है। कुल सचिव पद के लिए अहर्ता नहीं होने के बावजूद उनके नाम का झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित किया जाना लोक सेवा आयोग को भी कटघरे में खड़ा करता है।
उन्होंने कहा अपनी लिंक्डइन प्रोफाइल में इन्होंने अपने को 10 महीने की अवधि के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ क्रिमिनलोजी के प्राध्यापक, 2 वर्ष 1 महीना, रांची विश्वविद्यालय में पार्ट टाइम सह प्राध्यापक, नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) में 8 वर्ष 4 महीने सह प्राध्यापक तथा झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में 3 वर्ष 5 महीने सब प्राध्यापक दिखाया है।
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बाद में प्रोफाइल को कर दिया गया डिलीट
भाजमो अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अब इस प्रोफाइल को उनके द्वारा डिलीट कर दिया गया है। ऐसी संभावनाएं हैं कि इसी आधार पर उन्होंने कुल सचिव के 15 वर्ष की पठन-पाठन की आवश्यक अहर्ता झारखंड लोक सेवा आयोग को देकर अनुशंसा प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि कर्नल राजेश कुमार को रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में सैन्य परंपरा तथा अनुशासन के अलावे न्याय विज्ञान पढ़ने के लिए सेवा में प्रतिनियुक्ति पर लिया गया था। लेकिन वह सिर्फ अपनी नौकरी के लिए जोड़-तोड़ करते रहे क्योंकि सेवा में कर्नल पद के बाद उनकी छंटनी होनी थी तथा उन्हें सेवानिवृत्ति किया जाना था।
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रांची आते ही राज्यपाल कार्यालय में दिया कुल सचिव पद का आवेदन
धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि रांची आने के साथ ही उन्होंने राज्यपाल कार्यालय में कुल सचिव पद प्राप्त करने का आवेदन दिया। तत्कालीन कुल सचिव डॉ. मनोरंजन कुमार जमुआर को हटाने तथा बदनाम करने की मुहिम विद्यार्थियों के साथ मिलकर शुरू की।
उनके आवेदन के आलोक में सचिव शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा द्वारा कुलपति रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय से उनकी योग्यता संबंधी विवरण मांगा गया। विवरण के प्राप्त होने पर राज्यपाल कार्यालय ने उन्हें कुल सचिव पद के योग्य नहीं पाया। यही कारण था कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने सन 2020 में उनके नाम के अनुशंसा आने के पश्चात भी तत्कालीन कुलपति अजय कुमार सिंह ने उन्हें कुल सचिव नहीं बनाया।
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सेना से नहीं लिया था अनापत्ति प्रमाण पत्र
धर्मेंद्र तिवारी ने आरोप लगाया कि आयोग में आवेदन देने के समय उन्होंने सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लिया तथा कुल सचिव के नियमित पद पर योगदान देने से पहले अपनी प्रतिनियुक्ति भी रद्द नहीं करवाई। विचित्र बात है कि वे दिनांक 31.12.2020 को सेवानिवृत्ति के दिन दो नियमित पद धारण कर रहे थे। सेना कोड ऑफ सिग्नल्स के कर्नल तथा झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के कुल सचिव।
यह भी ज्ञात हुआ है कि वेतन निर्धारण में उन्होंने हेराफेरी की है। उन्होंने कहा कि लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वे देश में उग्रवाद विरोध (काउंटर इमरजेंसी) के विशेषज्ञ हैं, जबकि कोड ऑफ सिग्नल्स के व्यक्ति की जिम्मेवारी में यह नहीं आता है।
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झारखंड के गरीब बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए हुई थी स्थापना
भाजमो अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को झारखंड के गरीब बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए स्थापित किया गया था। निहित स्वार्थ के कारण विश्वविद्यालय तथा विद्यार्थियों दोनों का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नल राजेश कुमार के छल-प्रपंच तथा गतिविधियों के कारण सेना की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच अविलंब होनी चाहिए और दोषी को दंडित किया जाना चाहिए। झारखंड में विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ होता आया है, अब खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। सरकार और तंत्र पर से जनता का विश्वास उठता जा रहा है। इसलिए विद्यार्थियों और राज्य के हित में करवाई तथा जांच जरूरी है।
-सार्थक खबर ऑटोमेटेड फीड, मामूली संपादन
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